Movie/Album: आशा (1980)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्शी
Performed By: लता मंगेशकर
शीशा हो या दिल हो
आख़िर, टूट जाता है
लब तक आते-आते, हाथों से
साग़र छूट जाता है
शीशा हो या दिल...
बाक़ी अब अरमान नहीं, कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है, फिर तक़दीर ज़रूरी है
ये दो दुश्मन हैं ऐसे, दोनों राज़ी हों कैसे
एक को मनाओ तो दूजा, रूठ जाता है
शीशा हो या दिल...
बैठे थे किनारे पे, मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से, इस दिल के अरमानों से
हमको ये मालूम न था, कोई साथ नहीं देता
माँझी छोड़ जाता है साहिल, छूट जाता है
शीशा हो या दिल...
दुनिया एक तमाशा है, आशा और निराशा है
थोड़े फूल हैं काँटे हैं, जो तक़दीर ने बाँटे हैं
अपना-अपना हिस्सा है, अपना-अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है कोई, लूट जाता है
शीशा हो या दिल...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्शी
Performed By: लता मंगेशकर
शीशा हो या दिल हो
आख़िर, टूट जाता है
लब तक आते-आते, हाथों से
साग़र छूट जाता है
शीशा हो या दिल...
बाक़ी अब अरमान नहीं, कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है, फिर तक़दीर ज़रूरी है
ये दो दुश्मन हैं ऐसे, दोनों राज़ी हों कैसे
एक को मनाओ तो दूजा, रूठ जाता है
शीशा हो या दिल...
बैठे थे किनारे पे, मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफ़ानों से, इस दिल के अरमानों से
हमको ये मालूम न था, कोई साथ नहीं देता
माँझी छोड़ जाता है साहिल, छूट जाता है
शीशा हो या दिल...
दुनिया एक तमाशा है, आशा और निराशा है
थोड़े फूल हैं काँटे हैं, जो तक़दीर ने बाँटे हैं
अपना-अपना हिस्सा है, अपना-अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है कोई, लूट जाता है
शीशा हो या दिल...