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Channel: Lyrics In Hindi - लफ़्ज़ों का खेल
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मैं हूँ प्रेम रोगी - Main Hoon Prem Rogi (Suresh Wadkar, Prem Rog)

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Movie/Album: प्रेम रोग (1982)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: सन्तोष आनंद
Performed By: सुरेश वाडकर

अरे कुछ नहीं, कुछ नहीं
फिर कुछ नहीं है भाता
जब रोग ये लग जाता
मैं हूँ प्रेम रोगी
मेरी दवा तो कराओ
जाओ जाओ जाओ
किसी वैद्य को बुआओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...

कुछ समझा कुछ समझ न पाया
दिल वाले का दिल भर आया
और कभी सोचा जायेगा
क्या कुछ खोया, क्या कुछ पाया
जा तन लागे, वो तन जाने
ऐसी है इस रोग की माया
मेरी इस हालत को नज़र ना लगाओ
ओ जाओ जाओ जाओ
किसी वैद्य को बुआओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...

सोच रहा हूँ जग क्या होता
इसमें अगर ये प्यार न होता
मौसम का एहसास न होता
गुल गुलशन गुलज़ार न होता
होने को कुछ भी होता पर
ये सुंदर संसार न होता
मेरे इन ख़यालों में तुम भी डूब जाओ
ओ जाओ जाओ जाओ
किसी वैद्य को बुआओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...

यारों है वो क़िस्मत वाला
प्रेम रोग जिसे लग जाता है
सुख-दुःख का उसे होश नहीं है
अपनी लौ में रम जाता है
हर पल ख़ुद ही ख़ुद हँसता है
हर पल ख़ुद ही ख़ुद रोता है
ये रोग लाइलाज सही, फिर भी कुछ कराओ
जाओ जाओ जाओ
मेरे वैद्य को बुआओ
मेरा इलाज कराओ
और नहीं कोई तो मेरे यार को बुलाओ
जाओ जाओ जाओ
मेरे दिलदार को बुलाओ
जाओ जाओ जाओ
मेरे यार को बुलाओ
मैं हूँ प्रेम रोगी...

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