Movie/Album: मदारी (2016)
Music By: सनी बावरा-इन्दर बावरा
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: सुखविंदर सिंह
पालने में चाँद उतरा खुबसूरत ख़्वाब जैसा
गोद में उसको उठाता तो मुझे लगता था वैसा
सारा जहां मेरा हुआ, सारा जहां मेरा हुआ
सुबह की वो पहली दुआ या फूल रेशम का
मासूम-सा, मासूम-सा
मेरे आस-पास था मासूम-सा
एक कमरा था मगर सारा ज़माना था वहाँ
खेल भी थे और ख़ुशी थी, दोस्ताना था वहाँ
चार दीवारों में रहती थी हज़ारों मस्तियाँ
थे वहीं पतवार भी, सागर भी थे और कश्तियाँ
मेरी तो वो पहचान था, मेरी तो वो पहचान था
या यूँ कहो कि जान था, वो चाँद आँगन का
मासूम सा...
मेरी ऊँगली को पकड़ वो चाँद चलता शहर में
ज़िन्दगी की बेरहम-सी धूप में दोपहर में
मैं सुनाता था उसे अफ़साने रंगीं शाम के
ताकि वो चलता रहे, चलता रहे और ना थके
ना मंज़िलों का था पता, ना मंज़िलों का था पता
थी ज़िन्दगी इक रास्ता, वो साथ हर पल था
मासूम सा...
Music By: सनी बावरा-इन्दर बावरा
Lyrics By: इरशाद कामिल
Performed By: सुखविंदर सिंह
पालने में चाँद उतरा खुबसूरत ख़्वाब जैसा
गोद में उसको उठाता तो मुझे लगता था वैसा
सारा जहां मेरा हुआ, सारा जहां मेरा हुआ
सुबह की वो पहली दुआ या फूल रेशम का
मासूम-सा, मासूम-सा
मेरे आस-पास था मासूम-सा
एक कमरा था मगर सारा ज़माना था वहाँ
खेल भी थे और ख़ुशी थी, दोस्ताना था वहाँ
चार दीवारों में रहती थी हज़ारों मस्तियाँ
थे वहीं पतवार भी, सागर भी थे और कश्तियाँ
मेरी तो वो पहचान था, मेरी तो वो पहचान था
या यूँ कहो कि जान था, वो चाँद आँगन का
मासूम सा...
मेरी ऊँगली को पकड़ वो चाँद चलता शहर में
ज़िन्दगी की बेरहम-सी धूप में दोपहर में
मैं सुनाता था उसे अफ़साने रंगीं शाम के
ताकि वो चलता रहे, चलता रहे और ना थके
ना मंज़िलों का था पता, ना मंज़िलों का था पता
थी ज़िन्दगी इक रास्ता, वो साथ हर पल था
मासूम सा...