Movie/Album: पल्टन (2018)
Music By: अनु मलिक
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: सोनू निगम
रात कितनी दास्तानें, कह रही है
इक नदी यादों की है जो, बह रही है
मिलने आएँ हैं हम से
बीते हुए लम्हें कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में हैं झलके
यूँ तो कोई है कहाँ कोई कहाँ
यादें ले के आयी है सबको यहाँ
रात कितनी दास्तानें...
एक माथे पर दमकती एक बिंदी
एक आँचल जाने क्यों लहरा रहा है
घर के दरवाज़े पे सुंदर सी रंगोली
फिर कोई त्यौहार मिलने आ रहा है
नन्हें-नन्हें पाँव से चलता है कोई
उँगलियों से जप रहा है कोई माला
एक थाली इक कलाई एक राखी
एक मंदिर एक दीपक इक उजाला
रात कितनी दास्तानें...
दोस्ती का हाथ है कंधे पे रखा
प्यार से दो आँखें छलकी जा रही हैं
धूप की हैं धज्जियाँ बाग़ों में बिखरी
पेड़ों में छुप के हवाएँ गा रही हैं
लम्बी साँसें लेते हैं सावन के झूले
घाट पर पायी प्यासी गगरियाँ है
नदिया किनारे है बंसी का लहरा
एक पगडंडी पे खनकी चूड़ियाँ हैं
रात कितनी दास्तानें...
Music By: अनु मलिक
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: सोनू निगम
रात कितनी दास्तानें, कह रही है
इक नदी यादों की है जो, बह रही है
मिलने आएँ हैं हम से
बीते हुए लम्हें कल के
कितने पहचाने चेहरे
तन्हाई में हैं झलके
यूँ तो कोई है कहाँ कोई कहाँ
यादें ले के आयी है सबको यहाँ
रात कितनी दास्तानें...
एक माथे पर दमकती एक बिंदी
एक आँचल जाने क्यों लहरा रहा है
घर के दरवाज़े पे सुंदर सी रंगोली
फिर कोई त्यौहार मिलने आ रहा है
नन्हें-नन्हें पाँव से चलता है कोई
उँगलियों से जप रहा है कोई माला
एक थाली इक कलाई एक राखी
एक मंदिर एक दीपक इक उजाला
रात कितनी दास्तानें...
दोस्ती का हाथ है कंधे पे रखा
प्यार से दो आँखें छलकी जा रही हैं
धूप की हैं धज्जियाँ बाग़ों में बिखरी
पेड़ों में छुप के हवाएँ गा रही हैं
लम्बी साँसें लेते हैं सावन के झूले
घाट पर पायी प्यासी गगरियाँ है
नदिया किनारे है बंसी का लहरा
एक पगडंडी पे खनकी चूड़ियाँ हैं
रात कितनी दास्तानें...