Movie/Album: काजल (1965)
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
छू लेने दो नाज़ुक होठों को
कुछ और नहीं है, जाम है ये
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है
वो सबसे हंसीं इनाम है ये
छू लेने दो नाजुक...
शरमा के न यूँ ही खो देना
रंगीन जवानी की घड़ियाँ
बेताब धड़कते सीनों का
अरमान भरा पैगाम है ये
छू लेने दो नाज़ुक...
अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस मय को मुबारक चीज़ समझ
माना की बहुत बदनाम है ये
छू लेने दो नाजुक...
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मो.रफ़ी
छू लेने दो नाज़ुक होठों को
कुछ और नहीं है, जाम है ये
क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है
वो सबसे हंसीं इनाम है ये
छू लेने दो नाजुक...
शरमा के न यूँ ही खो देना
रंगीन जवानी की घड़ियाँ
बेताब धड़कते सीनों का
अरमान भरा पैगाम है ये
छू लेने दो नाज़ुक...
अच्छों को बुरा साबित करना
दुनिया की पुरानी आदत है
इस मय को मुबारक चीज़ समझ
माना की बहुत बदनाम है ये
छू लेने दो नाजुक...