Music By: मेहदी हसन
Lyrics By: मीर तक़ी मीर
Performed By: मेहदी हसन
देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
गोर किस दिलजले की है ये फ़लक
शोला इक सुब्हो याँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
यूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहां से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
बैठने कौन दे है फिर उसको
जो तेरे आस्ताँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
इश्क़ इक 'मीर'भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
मेहदी हसन साहब की ग़ज़ल में ये शेर नहीं सुनाई दिए हैं
ख़ाना-ए-दिल से ज़ीनहार न जा
कोई ऐसे मकाँ से उठता है
नाला सर खींचता है जब मेरा
शोर इक आसमाँ से उठता है
लड़ती है उस की चश्म-ए-शोख़ जहाँ
एक आशोब वाँ से उठता है
सुध ले घर की भी शोला-ए-आवाज़
दूद कुछ आशियाँ से उठता है
Lyrics By: मीर तक़ी मीर
Performed By: मेहदी हसन
देख तो दिल कि जाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
गोर किस दिलजले की है ये फ़लक
शोला इक सुब्हो याँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
यूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहां से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
बैठने कौन दे है फिर उसको
जो तेरे आस्ताँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
इश्क़ इक 'मीर'भारी पत्थर है
कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है
ये धुआँ सा कहाँ...
मेहदी हसन साहब की ग़ज़ल में ये शेर नहीं सुनाई दिए हैं
ख़ाना-ए-दिल से ज़ीनहार न जा
कोई ऐसे मकाँ से उठता है
नाला सर खींचता है जब मेरा
शोर इक आसमाँ से उठता है
लड़ती है उस की चश्म-ए-शोख़ जहाँ
एक आशोब वाँ से उठता है
सुध ले घर की भी शोला-ए-आवाज़
दूद कुछ आशियाँ से उठता है